Mehandipur Balaji Ki Kahani Part - 2 | How Was Mehndipur Balaji Established Part 2


मेहंदीपुर बालाजी की कहानी भाग 2 | Mehandipur Balaji Ki Kahani Part 2


भक्तों श्री मेहंदीपुर बालाजी के कहानी के भाग एक में आपने अब तक पढा़। कि गोसाई जी को सपना आया सपने के अनुसार गोसाई जी बालाजी के प्रतिमा तक पहुंचे। और भक्तों  आसपास के लोगों को इकट्ठा किया और लोगों की मदद से श्री बालाजी की छोटी सी तिवारी बनाकर श्री गुसाईं जी पूजा-अर्चना करने लगे। भक्तों इस कहानी के भाग दो पढ़ने से पहले इस website पर आप नये है तो follow कर लीजिए।



Story Of Mehandipur Balaji In Hindi

भक्तों श्री मेहंदीपुर बालाजी के स्थापना के बाद श्री गोसाईजी अस्थाई रूप से पूजा अर्चना करने लगे।

लेकिन कुछ दिनों के बाद कुछ कपटी और दुष्ट लोगों ने इसे ढोंग माना। 

तो बालाजी महाराज की प्रतिमा उन कपटी लोगो के सामने ही जहाँ से निकाली थी वह मूर्ति  फिर से वहीं लुप्त हो गई।

फिर लोगों ने श्री बाला जी महाराज से क्षमा मांगी तो वो मूर्तियाँ दिखाई 

देने लगी। 

यह देख सभी लोगों ने बालाजी की शक्ति को माना और गोसाई जी पर विश्वास किया। 

भक्तों आपको यह भी बता दे की--

गोसाई जी जंगली जानवरों को मंदिर से दूर रखने के लिए एक पेड़ के टहनी के सहारे घंटा लटका दि और समय समय पर बजाया करते थे।

इसीलिए गोसाईजी को कुछ लोग घंटे वाले बाबा जी के नाम से भी बुलाने लगे थे। 



Mehandipur Balaji Ka Chamatkar 

 मेहंदीपुर बालाजी का चमत्कार

भक्तों उस समय किसी राजपुत राजा का राज्य चल रहा था। 

गोसाई जी ने राजा को अपने सपने और बालाजी के बारे में बताने का निश्चय किया। 

गोसाई जी राजा को अपने सपने की बात बताई। राजा को यकीन नही हुआ 

और राजा बालाजी के चबूतरे पर पहुंचे और राजा ने मूर्ति को देखकर कहा ये कोई कला है। 

राजा के यह बात बोलते ही बालाजी की मूर्ति जमीन के अन्दर चली गयी। तो राजा ने खुदाई करवायी तब भी मूर्ति का कोई पता नही चला।

तब राजा ने हार मानकर बाबा से क्षमा मांगी और कहा 

हे श्री बाला जी महाराज हम मूर्ख हैं हम आपकी शक्ति को नही पहचान पाये हमें अज्ञानी समझ कर क्षमा कर 

दिजीये। राजा के क्षमा मांगते ही बालाजी महाराज की मूर्तियाँ बाहर आई।

Mehandipur Balaji Ka Jal | मेहंदीपुर बालाजी का जल

मूर्तियाँ बाहर आने के बाद राजा ने श्री बालाजी के चरन कमलों को अपने हाथ से पकड़ लिया। 

राजा ने देखा की मुर्ती पानी से गीली है। 

जैसे ही वह पानी राजा के हाथ मे लगी राजा के शरीर की सारे कष्ट दुर हो गये। 

भक्तों जब राजा ने गोसाई जी महाराज की बातों पर यकीन किया,और महंत गोसाई जी से बोले-

की हें गोसाई जी महाराज मेरे वजह से श्री बालाजी के चबूतरे को तोड़ा गया इसीलिए श्री बालाजी क मंदिर बनवाने वचन देता हूं और आपको बालाजी की पूजा का भार ग्रहण करने की आज्ञा देता हु। 

यह कहते हुए राजा वहा से चले गए। महंत गोसाई जी ने श्री बालाजी के मूर्ति को चारों तरफ से देखा की आखिर पानी का रिझाओ कहां से आ रहा है। 

श्री बालाजी महाराज के ह्रदय के पास एक छेद से एक बारिक जलधारा लगातार बहती जा रही थी 

गोसाई जी ने जलधारा को रोकने की बहुत कोशिश की मगर जलधारा नहीं रुका। 

तो गोसाई जी श्री बालाजी का चमत्कार समझ कर उसे बहने दिया।

(भक्तों आज उसी जलधारा के छिटें भक्तजनों को लगाया जाता है) 

इसके आगे की कहानी Mehandipur Balaji Mandir Nirman की कहानी हम इस पोस्ट के भाग-3 में बताये है। उस पोस्ट को पढे़✔️ Vinod Gupta

🚩तो प्रेम से बोलें और कमेंट में लिखे जय श्री बालाजी महाराज🙏

Click▶️मेहंदीपुर बालाजी की कहानी भाग 1


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(श्री बालाजी महाराज आप सभी के दुखों को दूर करें) 🙏🙏🙏🙏🙏

(नोट-Disclaimer: इस चैनल पर दिखाई गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Dharmasthala Yatra Gyan इनकी पुष्टि नहीं करता है।)


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